सर रक्खा है मेरे कांधे पर,
जाना था कहीं,
पर तुझे जगाने का मन नहीं करता.
सहा नहीं जाता,
इतना सुकूं है तेरे चेहरे पर,
इतना सुकूं है तेरे चेहरे पर,
पर इसे हटाने का मन नहीं करता.
तेरे जुल्फें खेलती हैं मेरे गालों से,
हारना है पसंद,
पर इन्हें हराने का मन नहीं करता.
दुआ है रब से,
ये पल कभी खत्म ना हो,
इस पल से आगे जाने का मन नहीं करता.
अब ऐसा होना तो मुमकिन नहीं,
की हर बार मेरा कंधा तेरा तकिया बन सके,
पर ऐसा ना चाहने का भी मन नहीं करता.
~ रवि
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