मत आ मेरे पास , तुझे मैं बर्बाद कर दूंगा .
तेरी हर अच्छी आदत को मैं खराब कर दूंगा.
ऐसा नहीं के मैं चाहता नहीं तुझे ,
बस खुद पर जरा भी भरोसा नहीं मुझे ,
डराता है मुझे खुद का ही जुनूँ,
तू खिलौना है मेरा , तुझे ना तोड़ मैं बैठूं ,
खुद धधक रहा हूँ अन्दर ही अन्दर ,
तुझे भी मैं राख कर दूंगा,
तेरी हर अच्छी आदत को मैं खराब कर दूंगा.
हंसी भागती है दूर मुझसे,
सुकून से कोई नाता नहीं,
खुद इतनी बार फिसला हूँ,
तुझे गिराना मैं चाहता नहीं ,
खुद नहीं पाक , रही तू गर साथ ,
तुझे भी मैं नापाक कर दूंगा .
तेरी हर अच्छी आदत को मैं खराब कर दूंगा.
पाने के लिए तुझे तो उस रब से भी लड़ सकता हूँ ,
मगर लाकर तुझे अपने दर्द के सिवा कुछ ना दे सकूँगा ,
खुद गम में ही जिया हूँ जिंदगी ,
तुझे भी ख़ुशी का मोहताज कर दूंगा .
तेरी हर अच्छी आदत को मैं खराब कर दूंगा .
इतना सा रहम कर मुझपे ,
अगर हो सके, ना कर मोहब्बत मुझसे ,
ये कर गलती ना चख मुझे ,
तुझे मैं तेज़ाब ही मिलूँगा ,
तेरी हर अच्छी आदत को मैं खराब कर दूंगा...
good..infact great first few lines are excellent...no one can say its ur first poem.......
ReplyDeleteThanks a lot mate. It's really encouraging to get authentic feedback from someone like you.
ReplyDeleteWell, I have tried writing poems before too. In fact, I have a few poems half written.
Usually lines keep coming in mind, but I don't get the time to elaborate on them :)
definitely a great one..thats called pouring your heart out on paper..well done!
ReplyDeletePS: When I read the very first line..I thought its about Counter Strike :D #tooMuchOfCS
ReplyDeleteHey Thanks PK, yes it was written with a lot of sentiments but I still it could have been quite better. Just posted it in a haste :)
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